दोस्तों हम देखने जा रहे हैं माता चंडी का मंदिर माता चंडी का मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार में नील पर्वत पर स्थित है नील पर्वत हिमालय की सबसे दक्षिण पर्वत श्रृंखला शिवालिक पहाड़ियों की पूर्वी भाग में स्थित है माता चंडी का मंदिर हरिद्वार के भीतर 5 तीर्थ में से एक तीर्थ माना जाता है माता चंडी का मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में अति प्रसिद्ध है ऐसा माना जाता है कि यह एक ऐसा स्थान है जहां मनोकामनाएं पूर्ण होती है जिसके कारण देश के कोने-कोने से श्रद्धालु अपनी मन्नत लेकर माता चंडी देवी के दर्शन को आते हैं
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माना जाता है कि चंडी देवी मंदिर का निर्माण 1929 में कश्मीर के राजा सुचेत सिंह ने कराया था लेकिन इसके साथ-साथ लोगों का यह भी मानना है कि मंदिर में मौजूद मूर्ति आठवीं शताब्दी की है जिसे आदिगुरु श्री शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था
पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि बहुत समय पहले शुंभ और निशुंभ नामक राक्षसों ने स्वर्ग के देवता इंद्र को युद्ध में परास्त कर स्वर्ग में आधिपत्य स्थापित किया और सारे देवताओं को दोनों राक्षसों ने स्वर्ग से भगा दिया देवताओं द्वारा गहरी प्रार्थना करने पर माता पार्वती ने माता चंडी के रूप को धारण किया और राक्षसों के सामने प्रकट हुए असाधारण महिला की सुंदरता से चकित शुंभ ने माता से शादी करने की इच्छा जताई माता के द्वारा इंकार किए जाने पर तुमने अपने राक्षस प्रमुख चंद और मंडे को चंडऔर मुंड को माता को मारने भेजा लेकिन माता चंडी द्वारा उन्हें मार दिया गया फिर शुंभ और निशुंभ ने मिलकर माता को मारने की भरपूर कोशिश की लेकिन माता चंडी द्वारा दोनों राक्षसों का वध कर दिया गया इसके बाद माता चंडी ने नील पर्वत पर थोड़ी देर इसी स्थान पर आराम किया जिसके कारण बाद में इस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण हुआ जिसे माता चंडी का मंदिर कहा जाता है जहां माता चंडी की प्रतिमा स्थापित है
माता चंडी देवी मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही हमें 3 किलोमीटर पैदल चढ़ाई चढ़ने पड़ती है या आप लोग रोप-वे (केबल कार) से भी माता के दर्शन को जा सकते हैं पैदल चढ़ाई के दौरान रास्ते में लोग ढोल बाजे के साथ माता के दर्शन को जाते दिखाई पड़ते हैं कहीं-कहीं टूटा रास्ता भी देखने मिल जाएगा लेकिन जैसे-जैसे आप माता के दर्शन के लिए नील पर्वत पर चढ़ते जाते हैं चारों ओर के खूबसूरत नजारे आपको दिखाई पड़ते हैं थक जाने पर विश्राम के लिए कई जगह भी यहां बनाए गए हैं कुछ देर विश्राम के बाद हम फिर आगे बढ़ते हैं रास्ते में कई प्रसाद की दुकानें भी मिल जाएंगी जैसे जैसे आप आगे बढ़ते हैं चढ़ाई और ऊंची होती जाती है
यहां रास्ते में लोगों द्वारा बनाए गए पत्थरों के टीले देखे जा सकते हैं कहा जाता है कि ऐसे टीले बनाने से आपके घर बनाने की मनोकामना पूर्ण होती है माता चंडी देवी मंदिर का प्रवेश द्वार से प्रवेश करते ही हमें पतली सकरी लोहे की रैलिंगों के बीच से गुजरना पड़ता है इन लोहे की बनी रैलिंगो के बीच से एक समय में एक ही व्यक्ति जा सकता है ऐसा करने पर मंदिर में होने वाली भीड़ को रोका जा सकता है कुछ देर चलने के बाद हमें मंदिर घर में जाने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़ने होती हैं फिर माता चंडी देवी का गर्भ ग्रह आता है
माता चंडी देवी का गर्भ ग्रह रंग-बिरंगे फूलों से सजा दिखाई पड़ता है इसके बाद हमें माता चंडी देवी के दर्शन होते हैं माता चंडी देवी के दर्शन के पश्चात मन खुशी से भर जाता है व्यक्ति अपनी सारी थकावट भूलकर माता के दर्शन की छवि आंखों में भर लेता है फूलों से सजा माता चंडी का गर्भग्रह बेहद खूबसूरत दिखाई पड़ता है
माता चंडी देवी प्रांगण में ही कई और मंदिर स्थापित है जैसे माता अन्नपूर्णा मंदिर, बाबा काल भैरव मंदिर, मां भद्रकाली मंदिर और संकट मोचन बजरंगबली का मंदिर, मंदिर प्रांगण में ही स्थित है इसके बाद हमें मंदिर से बाहर जाने का मार्ग मिलता है जहां हमें प्रसाद माता के सिंगार, चुनरी और मिठाई की कई दुकानें देखने मुक्ति हैं आप चाहें तो अपनी जरूरत की चीजें यहां से खरीद सकते हैं
मंदिर से बाहर आते ही खाने पीने नाश्ता व चाय की कई होटल मिल जाएंगे जहां आप चाय नाश्ता या खाना खा सकते हैं
चंडी माता पहाड़ी के ऊपर से हरिद्वार के चारों तरफ के खूबसूरत नजारे देखकर आप दंग रह जाएंगे इसके बाद हम आगे और ऊपर पहाड़ी पर माता अंजनी के दर्शन को आगे बढ़ते हैं
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार माता अंजनी देवी ने इसी स्थान पर बच्चा प्राप्ति हेतु भगवान शिव की पूजा की थी जिसके फलस्वरूप माता अंजनी को बजरंगबली पुत्र के रूप में प्राप्त हुए बाद में इस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण किया गया जो कि माता अंजनी देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ हर साल लाखों भक्त माता अंजनी देवी व बजरंगबली के दर्शन को यहां इस पहाड़ी के ऊपर आते हैं कुछ चढ़ाई और चढ़ने पर माता अंजनी देवी के मंदिर का प्रवेश द्वार आता है जहां कई प्रसाद की दुकाने स्थित हैं प्रसाद लेने के पश्चात हम अंजनी माता के दर्शन को आगे बढ़ते हैं कुछ ही समय पश्चात हमें माता अंजनी देवी का गर्भ ग्रह दिखाई पड़ता है जहां अंजनी माता की एक भव्य प्रतिमा स्थापित है साथ ही साथ माता अंजनी देवी के पास ही भगवान गणेश जी व बजरंग बली की प्रतिमा भी स्थापित की गई है यहां बजरंगबली के मंदिर में भक्तों फूल माला और दिया चढ़ाकर बजरंगबली की पूजा अर्चना भी करते हैं यहां एक हवन कुंड भी देखा जा सकता है जो हमेशा चलता ही रहता है माता अंजनी देवी गर्भ ग्रह के बाहर एक और संकट मोचन बजरंगबली का मंदिर है और साथ ही साथ माता संतोषी का भी मंदिर यहां दर्शनीय है जहां भक्त अंजनी मां के दर्शन के पश्चात संकट मोचन बजरंगबली भाग संतोषी माता के दर्शन करते हैं
मंदिर गर्भग्रह के बाहर एक मां अंजनी देवी चैरिटेबल ट्रस्ट भी है जहां आप दान आदि कर सकते हैं मंदिर से बाहर आने पर मुख्य प्रसाद जो कि लड्डू के रूप में होता है आप ले सकते हैं माता अंजनी देवी पहाड़ी से आसपास के चारों ओर का खूबसूरत दृश्य अति मोहिनी है जिसे देखकर आपको यहीं रह जाने का मन होगा मंदिर में आते जाते समय कई भक्तों को जय माता दी के नारे लगाते और माता के प्रति अपनी भक्ति जताते दिखाई पड़ते हैं यहां कई बहरूपियों को भी आशीर्वाद देते देखा जा सकता है साथ ही साथ बैंड बाजा के साथ माता के दर्शन को जाते भक्तों को आप देख सकते हैं
चंडी देवी मंदिर जाने के लिए आपको बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन हरिद्वार से चंडी चौक जाना होगा चंडी चौक रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से लगभग 3 से 4 किलोमीटर दूरी पर स्थित है जहां आप ऑटो रिक्शा रिक्शा या टैक्सी से आसानी से पहुंच सकते हैं चंडी चौक से आपको चंडी माता मंदिर जाने के लिए पुनः ऑटो करना होगा जो कि ₹20 लेकर आपको माता चंडी के मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंचा देगा
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Friends, we are going to see Mata Chandi Temple Mata Chandi Temple is located on Neel Parvat in Haridwar, Uttarakhand. Neel Parvat is the southernmost mountain range of the Himalayas, located in the eastern part of Shivalik Hills. It is believed that the temple of Mata Chandi is very famous as a Siddha Peeth, it is believed that it is a place where wishes are fulfilled, due to which devotees from every corner of the country take their vows and visit Mata Chandi Devi. come
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It is believed that the Chandi Devi temple was built by King Suchet Singh of Kashmir in 1929, but along with this, people also believe that the idol present in the temple is from the eighth century which was installed by Adiguru Sri Shankaracharya.
According to mythology, it is believed that a long time ago the demons named Shumbh and Nishumbha defeated Indra, the god of heaven, and established the supremacy in heaven and all the gods were banished from heaven by both the demons. assumed the form of Mata Chandi and astonished by the beauty of the extraordinary woman who appeared in front of the demons, Shumbha expressed his desire to marry the mother. On the mother's refusal, you sent your demon chief Chand and Mande to kill Chand and Munda to kill the mother. But they were killed by Mata Chandi, then Shumbha and Nishumb together tried hard to kill Mata but both the demons were killed by Mata Chandi, after that Mata Chandi rested for a while on Neel Parvat, due to which later A temple was built at this place which is called Mata Chandi ka Mandir where the idol of Mata Chandi is installed.
As soon as we enter from the main gate of Mata Chandi Devi temple, we have to climb 3 kilometers on foot or you can also go to the darshan of Mata by rope-way (cable car), people on the way with drums during the walk. Somewhere you will get to see a broken path, but as you climb the Nile mountain to see the mother, you can see the beautiful scenery around you, many places for rest when tired. They have been built here, after rest for some time, we move forward again, many prasad shops will also be found on the way, as you move forward, the climb gets higher.
Mounds of stones made by people can be seen on the way here, it is said that making such mounds fulfills your desire to build your house, as soon as we enter the Mata Chandi Devi temple from the entrance, we can see through thin narrow iron railings. One has to pass through these iron railings, only one person can go at a time, by doing this the crowd in the temple can be stopped, after walking for some time, we have to climb some stairs to go to the temple house. Then comes the womb planet of Mother Chandi Devi.
The womb planet of Mata Chandi Devi is seen decorated with colorful flowers, after that we have darshan of Mata Chandi Devi. Filled with flowers, the sanctum sanctorum of Mother Chandi looks very beautiful.
Many more temples are established in Mata Chandi Devi courtyard like Mata Annapurna Temple, Baba Kaal Bhairav Temple, Maa Bhadrakali Temple and Sankat Mochan Bajrangbali temple, the temple is located in the courtyard itself, after that we get the way out of the temple where we It is free to see many shops of Prasad Mata's Singar, Chunari and Sweets, if you want, you can buy the things you need from here.
As soon as you come out of the temple, you will find many hotels for breakfast and tea, where you can have tea, breakfast or food.
You will be stunned to see the beautiful views all around Haridwar from the top of Chandi Mata hill, after that we proceed further and above the hill to see Mata Anjani.
According to Hindu mythology, Mata Anjani Devi had worshiped Lord Shiva at this place to get a child, as a result of which Mata Anjani was received as Bajrangbali's son, later a temple was built at this place which is Mata Anjani Devi Temple. Every year lakhs of devotees come here to visit Mata Anjani Devi and Bajrangbali on top of this hill. We proceed with the darshan of Anjani Mata, after some time we see the womb of Mother Anjani Devi, where a grand statue of Anjani Mata is installed, as well as the statue of Lord Ganesha and Bajrang Bali near Mata Anjani Devi. It has been established here in the temple of Bajrangbali. Devotees also offer prayers to Bajrangbali by offering flowers, garlands and diyas. There is a temple as well as a temple of Mata Santoshi. It is visible where devotees visit Sankat Mochan Bajrangbali Bhaag Santoshi Mata after seeing Anjani Maa.
There is also a Maa Anjani Devi Charitable Trust outside the temple sanctum sanctorum where you can make donations etc. On coming out of the temple, the main prasad which is in the form of laddus, you can take a beautiful view of the surroundings from the Mata Anjani Devi hill. It is very witchy, seeing that you will feel like staying here, while coming to the temple, many devotees are seen shouting slogans of Jai Mata Di and expressing their devotion to the mother, here many deaf-matures can also be seen blessings as well. You can see the devotees going to see the mother with the band baja.
To reach Chandi Devi Temple, you have to go to Chandi Chowk from Bus Stand or Railway Station Haridwar. Chandi Chowk is located at a distance of about 3 to 4 kilometers from Railway Station or Bus Stand where you can easily reach by auto rickshaw rickshaw or taxi Chandi Chowk. From there you will have to re-auto to go to Chandi Mata Mandir, which will take you to the main gate of Mata Chandi temple by taking ₹ 20.
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