Chittorgarh Fort || Fort in Rajasthan || चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan

 


चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान

दोस्तों आज हम घूमने जा रहे हैं चित्तौड़गढ़ चित्तौड़गढ़ राजस्थान राज्य में स्थित एक नगर है यह नगर मेवाड़ की प्राचीन राजधानी थी तथा महान वीर महाराणा प्रताप यही के राजा थे इसे महाराणा प्रताप गढ़ या जोहर का गढ़ भी कहा जाता है 

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़ का किला टिकट घर


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यहां किले में प्रवेश करने की टिकट 25 रुपये है 25 रुपये का टिकट लेने के पश्चात हम किले में प्रवेश करते हैं जो कि एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है चित्तौड़गढ़ सुर वीरों का शहर है जो पहाड़ी पर बने किले के लिए प्रसिद्ध है इस किले में बहुत से स्थान घूमने वाले हैं जिनमें से एक है मीरा बाई का मंदिर 

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का कुंभ श्याम मंदिर

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चित्तौड़गढ़  किले का कुंभ श्याम मंदिर

मीराबाई के मंदिर में आर्यों की सभ्यता चित्रकारी के बारे में विभिन्न जानकारियां प्राप्त होंगी मुख्य द्वार से अंदर आते ही हमें एक विशाल मंदिर देखने मिलता है जिसे कुंभ मंदिर के नाम से जाना जाता है यहां किसने जी का मंदिर है जहां मंदिर गर्भ में श्री कृष्ण और राधा जी की मूर्तियां स्थापित हैं 

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का मीरा बाई का मंदिर

कुंभ मंदिर को कुंभ श्याम मंदिर या वराह मंदिर के नाम से भी जाना जाता है यह मंदिर महाराणा कुंभा द्वारा 1494 ईस्वी में बनवाया गया यह मंदिर उत्तर भारतीय वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है जिसमें प्रत्येक कोण में चार मंडप वाले कक्ष के क्षेत्रों में खुली विधिक आए हैं इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर विभिन्न कलाकृतियां उकेरी गई हैं 

 

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चित्तौड़गढ़  किले का मीरा बाई का मंदिर

इसी मंदिर परिसर में स्थित है मीराबाई का मंदिर जो कि विभिन्न स्तंभों वाले एक वर्गाकार इमारत पर बना है जिस पर कई कलाकृतियां भी उकेरी गई हैं यह वही स्थान है जहां मेरा भाई अपने आराध्य भगवान श्री कृष्ण की भक्ति किया करती थी और उनका पूजन करती थी यहां इस मंदिर में भगवान कृष्ण के साथ मीरा बाई की भजन करती हुई प्रतिमाएं स्थापित है 

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का मीरा बाई का मंदिर

कहा जाता है यह वही जगह है जहां विश भी अमृत में परिवर्तित हो गया था भगवान श्री कृष्ण की अनन्य भक्त मीरा के जन्म दिवस पर यहां प्रतिवर्ष मीरा महोत्सव का आयोजन किया जाता है यह महोत्सव 3 दिनों तक चलता है और दूर-दूर से संगीतकार गायक यहां आकर मीराबाई के द्वारा लिखे हुए भजन गीत गाते हैं यह महोत्सव हमेशा शरद पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है

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चित्तौड़गढ़  किले का मीरा बाई का मंदिर

इसके बाद हम चलते हैं किले स्थित विजय स्तंभ देखने इसे जयस्तंभ भी कहा जाता है महाराणा प्रताप ने 1440 ईस्वी में मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी को प्रथम बार युद्ध में परास्त किया था जिसकी याद में यह विजय स्तंभ बनवाया गया 

 

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का विजय स्तंभ

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चित्तौड़गढ़  किले का विजय स्तंभ

यह स्तंभ वास्तुकला की दृष्टि से बहुत खूबसूरत है इस स्तंभ की बाहरी दीवारों पर भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों ब्रह्मा जी शिव जी की विभिन्न मूर्तियां लक्ष्मी नारायण की मूर्तियां अर्धनारेश्वर महाभारत और रामायण के विभिन्न पात्रों की मूर्तियां इसमें उकेरी गई हैं इसी विजय स्तंभ प्रांगण में विभिन्न मंदिरों उनके अवशेष देखने मिलते हैं

इसी विजय स्तंभ प्रांगण में स्थित है गौमुख कुंड इस कुंड के आसपास का नजारा बहुत खूबसूरत है 

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का गौमुख कुंड

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का गौमुख कुंड

इस कुंड के समीप जाने के लिए कई सीढ़ियां बनी है ऐसा माना जाता है कि रानी पद्मावती यहां स्नान करने आती थी इसी कुंड के किनारे महादेव मंदिर है जहां गोमुख के समान एक स्थान से लगातार जल की धारा शिवलिंग पर गिरती रहती है इस कुंड में भी जल इसी गोमुख धारा से आता है मान्यता है कि यहां शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पापों से मुक्ति मिलती है 

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का गौमुख कुंड का महादेव मंदिर

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चित्तौड़गढ़  किले का गौमुख कुंड का महादेव मंदिर


इस गौमुख कुंड के पास समिद्धेश्वर महादेव मंदिर है समाधि स्वर इसका निर्माण मालवा के प्रसिद्ध राजा राजा भोज ने 11वीं शताब्दी में करवाया था जिसे त्रिभुवन नारायण का शिवालय या भोज का मंदिर के नाम से भी जाना जाता है 


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 चित्तौड़गढ़  किले का समिद्धेश्वर महादेव मंदिर

1428 ईस्वी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार महाराणा मोकल जी ने करवाया था जिसके कारण इस मंदिर को लोग मोकल जी का मंदिर भी कहते हैं इस मंदिर के गर्भ गृह में तीन मुख वाले शिव जी की अति विशाल प्रतिमा स्थापित है

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 चित्तौड़गढ़  किले का समिद्धेश्वर महादेव मंदिर

इस मंदिर में दो शिलालेख हैं पहला शिलालेख 1440 ईसवी का शिलालेख है जिसके अनुसार गुजरात के सोलंकी राजा राजा कुमार पाल का अजमेर के चौहान राजा आना जी को परास्त कर चित्तौड़गढ़ आना पता चलता है तथा दूसरा शिलालेख जो 1428 ईसवी का है महाराणा मोकल जी से संबंधित है यह मंदिर भी भारतीय वास्तुकला की दृष्टि से बहुत खूबसूरत है जिसको देखने के पश्चात आपका मन प्रसन्न हो जाएगा 

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 चित्तौड़गढ़  किले का समिद्धेश्वर महादेव मंदिर

इसी मंदिर के पास स्थित है महासती जौहर कुंड जो कि एक मैदानी हिस्सा है जो कि चारों ओर से दीवारों से गिला है चित्तौड़गढ़ में बहादुर शाह के आक्रमण के समय रानी गर्भवती ने सतीत्व की रक्षा हेतु 13000 वीरांगनाओं सहित विश्व प्रसिद्ध जोहर किया 

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चित्तौड़गढ़  किले का महासती जौहर कुंड

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चित्तौड़गढ़  किले का महासती जौहर कुंड


यहां खुदाई में मिली राख इस करुणामई बलिदान की पुष्टि करते हैं अब हम देखने चलते हैं किले स्थित पद्मिनी महल 

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चित्तौड़गढ़  किले का पद्मिनी महल

 

राणा रतन सिंह की पत्नी पद्मिनी जिसको पद्मावती के नाम से जाना जाता है अत्यंत सुंदर चतुर पराक्रमी रानी थी यहां पद्मिनी महल एक विशाल तालाब के बीचो बीच बना है इस महल में कई बगीचे वह छोटे उद्यान देखे जा सकते हैं जो पर्यटकों को लुभाते हैं 
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चित्तौड़गढ़  किले का पद्मिनी महल 

इस महल में कई गलियारे हैं इसी महल के पीछे एक जल महल है जो कि तालाब के बीचो-बीच बना है कहा जाता है रानी पद्मावती ने इसी स्थान से सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को एक झलक दिखाई थी कहा जाता है कि पद्मावती को प्राप्त करने की में असमर्थ अलाउद्दीन ने राजा रतन सिंह को यह संदेश भिजवाया कि आईने में उसे पद्मावती का मुख ही दिख जाए तो वह बिना युद्ध किए दिल्ली वापस लौट जाएगा 

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चित्तौड़गढ़  किले का पद्मिनी महल

 

शांति को बनाए रखने के लिए राजा रतन सिंह ने खिलजी की बात मान ली परंतु धोखे से खिलजी ने राजा रतन सिंह को अपना बंदी बना लिया और पद्मावती को सौंपने को कहा अंततः युद्ध हुआ और उसके बाद रानी का दुखित करने वाला जो है 

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चित्तौड़गढ़  किले का पद्मिनी महल

इसके बाद हम चलते हैं कालिका माता मंदिर कालिका माता मंदिर जोकि किले परिसर में ही स्थित है 

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का कालिका माता मंदिर



चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का कालिका माता मंदिर

मुख्य द्वार से अंदर आते ही एक विशाल वटवृक्ष दिखाई पड़ता है जिसके नीचे शिव मंदिर बना है 

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चित्तौड़गढ़  किले का शिव मंदिर

इसी शिव मंदिर के सामने हैं यह कालिका माता मंदिर यह कालिका यह मंदिर एक विशाल पहाड़ी पर बना है 

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 चित्तौड़गढ़  किले का कालिका माता मंदिर

जहां प्रांगण में कई शिवलिंग स्थापित हैं इस मंदिर की बाहरी आंतरिक दीवारों पर सुंदर कलाकृतियां ओके दी गई है मंदिर प्रांगण में श्री काल भैरव मंदिर है इस मंदिर में चारों ओर का विहंगम दृश्य देख पाते हैं मंदिर का निर्माण नौवीं शताब्दी में किया गया था इस मंदिर का जीर्णोद्धार महाराजा सज्जन सिंह ने कराया था

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का कालिका माता मंदिर

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का कालिका माता मंदिर


अब हम देखने चलते हैं किले स्थित सात बीस देवरी जैन मंदिर मंदिर के मुख्य द्वार को देखकर आप इसकी भव्यता का अंदाजा लगा सकते हैं 

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चित्तौड़गढ़  किले का सात बीस देवरी जैन मंदि

मुख्य मंदिर तीन मंडप युक्त है जहां मंदिर प्रांगण में कई मंदिर स्थापित है मुख्य मंदिर के गर्भ गृह में आदिनाथ भगवान की विशाल मूर्ति स्थापित है तथा अदाएं एवं बाय शांतिनाथ जी अजीत नाथ जी की प्रतिमा स्थापित है 

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का सात बीस देवरी जैन मंदिर

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चित्तौड़गढ़  किले का सात बीस देवरी जैन मंदिर

इन मंदिरों के अंदर बाहर की तरफ किया गया शिल्पांगन कमाल का है जहां मंदिरों के बाहरी दीवारों पर कई देवी-देवताओं अप्सराओं जानवरों और वृक्षों को उकेरा गया है जो कि माउंट आबू स्थित दिलवाड़ा मंदिरों की याद दिलाता है 

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चित्तौड़गढ़  किले का सात बीस देवरी जैन मंदिर

मंदिर में बनी हुई कुल 27 देवरियो के कारण ही इसे साध्वी जी देवरी मंदिर कहा जाता है संपूर्ण मंदिर में 163 पहचान के कलात्मक स्तंभ हैं जो कि मंदिरों की भव्यता को और बढ़ाते हैं इस मंदिर का निर्माण 1428 ईस्वी में किया गया था यदि आप किला देखने जाते हैं तो यहां की भव्यता को भी जरूर देखें 

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चित्तौड़गढ़  किले का सात बीस देवरी जैन मंदिर

इसके बाद हम चलते हैं किले स्थित संग्रहालय को देखने 20 रुपये का टिकट लेने के बाद हम इस संग्रहालय में प्रवेश करते हैं यह संग्रहालय बहुत बड़ा संग्रहालय है जहां आप प्रवेश द्वार से  प्रवेश करते ही कई किले की रूपरेखा देख सकते हैं 

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चित्तौड़गढ़  किले का संग्रहालय

तथा यहां सुरभि राजाओं की गाथा उनकी फोटो के साथ चित्रित की गई है इस संग्रहालय में आप बहुत सी चीजें जैसे राजा महाराजाओं के युद्ध के कपड़े मुकुट अस्त्र-शस्त्र मूर्तियां बंदूके कटार भाले कुदाल तीर कमान ढाल और भी कई रोमांचित कर देने वाली चीजें यहां देख पाते हैं जो कि राजपूतों के शासनकाल में बनवाई गई थी जो कि राजपूतों के साहस को अमर करने यहां रखा गया है 

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का संग्रहालय

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का संग्रहालय

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का संग्रहालय

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का संग्रहालय

इसके बाद हम देखने चलते हैं कुंभा महल इस महल का निर्माण महाराणा कुंभा के समय हुआ था

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चित्तौड़गढ़  किले का कुंभा महल

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का कुंभा महल


यह स्थान महाराणा कुंभा का निवास स्थान था यहां कुंभा महल के अंदर सूरज गोरखा जनाना महल टावर महल अन्य आवासी महल है परंतु यह सब अब खंडित हो चुके हैं 


चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का कुंभा महल

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का कुंभा महल

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का कुंभा महल

इस महल से पूरे चित्तौड़गढ़ को देखा जा सकता है मान्यता है कि इन्हीं महलों मेंतहखाना है जिसमें सुरंग के माध्यम से गोमुख तक पहुंचा जा सकता है महारानी पद्मावती ने हजारों वीरांगन के साथ इसी रास्ते गौमुख कुंड में स्नान करने के बाद अनीता खानों में जौहर किया था तथा इसी ऐतिहासिक महल में महाराणा उदय सिंह का जन्म हुआ था इस महल का इतिहास कहीं खूनी लड़ाई हो वह चारों से भरा पड़ा है जो कि अब स्थानीय गायकों द्वारा गाए जाते हैं 

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का कुंभा महल


चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  किले का कुंभा महल

इस स्थान को 21 जून 2013 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल में घोषित किया है चित्तौड़गढ़ का यह दुर्ग राजस्थान का गौरव एवं राजस्थान के सभी दुर्गों दुर्गों का सिरमौर भी कहलाता है 

इसके बाद हम देखने चलते हैं सांवरिया जी मंदिरसांवरिया जी मंदिरचित्तौड़गढ़ से लगभग 32 किलोमीटर दूरी पर स्थित सांवरिया जी का मंदिर राजस्थान में बहुत प्रसिद्ध है यह भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है मंदिर का आंतरिक भाग कहां से बना है तथा कृष्ण लीलाओं को कांच पर बहुत ही सुंदर तरीके से उभारा गया है 

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चित्तौड़गढ़  का सांवरिया जी मंदिर

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
चित्तौड़गढ़  का सांवरिया जी मंदिर

यह मंदिर यहां मिलने वाले बड़े बड़े स्वादिष्ट लड्डू के प्रसाद के लिए भी प्रसिद्ध है जब भी आप यहां आए हैं तो यहां का प्रसाद जरूर ग्रहण करें 

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान / Chittorgarh Fort Rajasthan
सांवरिया जी मंदिर स्वादिष्ट लड्डू

कैसे पहुंचे :

चित्तौड़गढ़ पहुंचने का सबसे आसान तरीका रेलवे स्टेशन है चित्तौड़गढ़ एक रेलवे स्टेशन है तथा किला रेलवे स्टेशन से लगभग 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित है रेलवे स्टेशन के पास ही आपको कई होटल ठहरने के लिए रुपये 500 तक मिल जाएंगे जब भी आपके लिए मैं घूमने आए तो अपने साथ कुछ ना कुछ खाने पीने की चीजें रखना ना भूलें किले के ऊपर होटल या नाश्ता घर नहीं है

संपर्क करें

Mail id 

nonstoptravelling01@gmail.com






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