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हवा महल जयपुर राजस्थान
दोस्तों आज हम देखने जा रहे हैं हवा महल हवा महल राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित एक राज सी महल है इस महल को 1799 ईसवी के आसपास महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था और इस हवा महल के वास्तुकार श्री लाल चंद उस्ता थे जिन्होंने इस हवामहल को बेहद खूबसूरती से डिजाइन किया
हम हवामहल जाने के लिए जयपुर स्थित चंद्रपोल गेट से प्रवेश करते हैं और त्रिपोलिया मार्केट की तरफ आगे बढ़ते हैं यहां त्रिपोलिया मार्केट चौराहे के पास ही स्थित है हवा महल चंद्रपोल गेट से त्रिपोलिया मार्केट चौराहा लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित है
हवा महल के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही एक खुला मैदान दिखाई पड़ता है हवा महल में प्रवेश करने के लिए हमें 25 रुपये की टिकट लेना होती है टिकट लेने के पश्चात हम हवा महल में प्रवेश करते हैं
हवा महल जयपुर मुख्य द्वार |
हवा महल जयपुर मुख्य द्वार |
हवा महल जयपुर मुख्य द्वार |
हवा महल मुख्य द्वार
हवा महल 5 मंजिला सुंदर इमारत है जब हम हवा महल में प्रवेश करते हैं तो हमें एक बड़ा आंगन दिखाई पड़ता है जिसमें फाउंटेन लगाया गया है इस आंगन से हम 5 मंजिला हवा महल देख पाते हैं जहां हमें जालीदार खिड़कियां,सुंदर कलात्मक दरवाजे और गैलरी दिखाई पड़ती है
हवा महल पहली मंजिल
इसके बाद हम हवा महल के अंदर प्रवेश करते हैं और पहुंचते हैं हवा महल की पहली मंजिल में
हवा महल की पहली मंजिल को रतन महल कहा जाता है यहां रतन महल में बहुत सी खूबसूरत रंग-बिरंगे कांच खिड़कियों में लगाए गए हैं जब सूर्य की किरने इन रंग-बिरंगे कांच पर पड़ती है तो पूरा कमरा कई रंगों का दिखाई पड़ता है
इस पहली मंजिल में ही कई जालीदार खिड़कियां,कलात्मक दरवाजे एक बड़ी गैलरी है जिन्हें लाल सफेद काले वह पीले रंगों से सजाया गया है हवा महल में कुल 953 खिड़कियां हैं इन खिड़कियों को यहां झरोखा कहा जाता है हवामहल महाराजांचे सिंह का विश्राम करने का सबसे पसंदीदा जगह में से एक था क्योंकि इसकी आंतरिक सुंदर बनावट और ठंडक का प्रभाव महाराजा जयसिंह को पसंद था
हवा महल जालीदार खिड़कियां |
हवा महल ढलान वाले रास्ते
अब हम चलते हैं अगली मंजिल में यहां भी पहली मंजिल की तरह कमरों की खिड़कियों में रंग-बिरंगे कांच लगाए गए हैं एक खास बात देखने को मिलती है कि 1 मंजिल से दूसरी मंजिल जाने के लिए ढलान वाले रास्ते हैं सीढ़ियां नहीं है सीढ़ियां नहीं होने का कारण यह है कि यहां की रानियां भारी वस्त्र व गहने पहनकर सीढ़ियां चढ़ने में असमर्थ थी उन्हें सीढ़ियां चढ़ने में बहुत परेशानी हुआ करती थी इसलिए ढलान वाले रास्ते एक मंजिल से दूसरे मंजिल में बनाए गए हैं
हवा महल की हर मंजिल में सुंदर दालान झरोखे वर्क गैलरी देखने मिलती है जो कि मुगल व राजपूत स्थापत्य कला का मिश्रण है हर मंजिल में सुंदर हवादार कमरे,कमरे में लगे रंग-बिरंगे कांच,नक्काशी दार पिलर,सुंदर खिड़कियां व दरवाजे देखने मिलते हैं अब हम चलते हैं हवा महल की चौथी मंजिल पर जहां सुंदर गैलरी है इन गैलरी से हवा महल के सामने का भाग व पीछे का भाग देखा जा सकता है
हवा महल के सामने का भाग जितना कलात्मक है पीछे का भाग उतना ही सादा अब हम कुछ सीढ़ियां और चढ़कर पांचवी मंजिल में चलते हैं यह सबसे ऊपर की मंजिल है जहां से हम हवा महल के सबसे ऊपर वाले भाग को एकदम करीब से देख पाते हैं यहां से दूर दूर तक जयपुर शहर दिखाई पड़ता है
लालचंद उस्ता जो कि इस हवा महल के वास्तुकार थे उन्होंने जयपुर शहर की भी शिल्प व वास्तु योजना बनाने में बहुत मदद की थी इस कारण जयपुर शहर सुनियोजित तरह से बसाया गया है हवा महल की हर खिड़की से सामने के मुख्य सड़कों को दिखा जा सकता है हवामहल में कितनी खिड़कियां बनाने का कारण यह भी था कि यहां की रानियां जयपुर में होने वाले उत्सवों को इन कृतियों के माध्यम से देखा करती थी जिसके कारण पर्दा प्रथा को वह पूरी तरीके से निभाती थी
महल को सामने से देखने पर वह मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखाई पड़ता है इस महल की एक और खास बात यह है कि दुनिया में किसी भी नियम के बिना बनी सबसे ऊंची इमारत हवामहल है
हवा महल के नीचे की मंजिल में प्रताप मंदिर स्थापित है यह एक बड़ा हाल है जहां राजा महाराजाओं की पोशाक सिंहासन राजा बा रानियों के गहने वाकई महाराजाओं की पेंटिंग्स को प्रदर्शित किया गया है
प्रताप मंदिर के बगल में ही एक और बड़ा हॉल स्थित है जिसे शारदा मंदिर हॉल कहते हैं यहां राजा महाराजाओं के हथियार जैसे की तलवार ढाल भाले तीर कमान को प्रदर्शित किया किया गया है
हवामहल तक कैसे पहुंचे
रेलवे स्टेशन से हवा महल लगभग 4 किलोमीटर दूरी पर स्थित है जहां आप ऑटो रिक्शा टैक्सी से आसानी से पहुंच सकते हैं हवा महल के सामने ही कई होटल बने हैं जहां आप चाय नाश्ता या खाना खा सकते हैं ठहरने के लिए रेलवे स्टेशन के पास आपको कई होटल मिल जाएंगे जो कि 500 रुपये से 1000 रुपये तक के होटल रूम होंगे और जयपुर में किसी भी जगह जाने के लिए आपको वाहन भी मिल जाता है जैसे कि मोटरसाइकिल या कार मोटरसाइकिल लगभग 300रुपये में मिल जाती है और कार लगभग 500रुपये से 700रुपये तक तो आप आसानी से अकेले या पूरे परिवार के साथ घूम सकते हैं